कांवड़ यात्रा में दुखद हादसे: देहरादून और उत्तरकाशी में सड़क दुर्घटनाओं में दो कांवड़ियों की

हर साल सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। लाखों कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री, और अन्य पवित्र स्थानों से गंगा जल लेकर अपने गंतव्य तक पैदल या वाहनों के माध्यम से यात्रा करते हैं।

हालांकि, इस साल उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के दौरान दो दुखद सड़क हादसों ने भक्तों और प्रशासन को झकझोर दिया है। देहरादून के भानियावाला फ्लाईओवर और उत्तरकाशी में हुए इन हादसों में दो कांवड़ियों की मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हुए हैं।

देहरादून के भानियावाला फ्लाईओवर हादसा

21 जुलाई 2025 की सुबह देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में भानियावाला फ्लाईओवर के पास एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ।

हरिद्वार से गंगाजल लेकर रायपुर की ओर लौट रहे पांच कांवड़ियों की बाइक तेज रफ्तार के कारण फ्लाईओवर के डिवाइडर से टकरा गई। इस भीषण टक्कर में दो कांवड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हो गए। घायलों में 16 वर्षीय शिवा की हालत नाजुक बताई जा रही है, और उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, और मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। प्रारंभिक जांच में तेज रफ्तार को हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है। पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है ताकि हादसे के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके।

उत्तरकाशी में कांवड़िया सड़क से नीचे गिरा

इसी दौरान, उत्तरकाशी में भी कांवड़ यात्रा के दौरान एक और हादसा हुआ। एक कांवड़िया सड़क से नीचे खाई में गिर गया, जिसके बाद पुलिस और स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची।

इस हादसे में कांवड़िया गंभीर रूप से घायल हो गया, और उसे तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की गई। अभी तक इस हादसे में मृत्यु की कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन घायल कांवड़िए की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।

उत्तरकाशी के इस क्षेत्र में सड़कों की खराब स्थिति और भूस्खलन की संभावना हादसों के जोखिम को बढ़ा देती है। प्रशासन ने कांवड़ यात्रियों से सावधानी बरतने और सुरक्षित यात्रा करने की अपील की है।

कांवड़ यात्रा और सुरक्षा चिंताएँ

कांवड़ यात्रा, जो 11 जुलाई से 23 जुलाई 2025 तक चल रही है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस दौरान भक्त बांस से बनी कांवड़ में गंगा जल लेकर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं

और अपने स्थानीय शिव मंदिरों में जल चढ़ाते हैं। हालांकि, इस धार्मिक उत्साह के बीच सड़क सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

पिछले कुछ वर्षों में कांवड़ यात्रा के दौरान कई हादसे सामने आए हैं, जिनमें तेज रफ्तार, सड़कों पर भीड़, और खराब मौसम की स्थिति प्रमुख कारण रहे हैं। इस साल भारी बारिश और भूस्खलन ने उत्तराखंड की सड़कों को और खतरनाक बना दिया है।

देहरादून और उत्तरकाशी में हुए ये हादसे प्रशासन के लिए एक चेतावनी हैं कि यात्रा के दौरान सुरक्षा उपायों को और सख्त करने की जरूरत है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और भविष्य के कदम

उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन ने इन हादसों के बाद त्वरित कार्रवाई की है। भानियावाला हादसे के बाद पुलिस ने फ्लाईओवर पर ट्रैफिक व्यवस्था को और सख्त कर दिया है

, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उत्तरकाशी में SDRF की तैनाती बढ़ा दी गई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ सड़कें संकरी और जोखिम भरी हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन हादसों पर दुख जताया है और प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएँ। उन्होंने यह भी कहा कि घायलों के इलाज और मृतकों के परिजनों को सहायता प्रदान की जाएगी।

निष्कर्ष

कांवड़ यात्रा भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन इन हादसों ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा के महत्व को उजागर किया है।

कांवड़ियों से अपील है कि वे तेज रफ्तार से बचें और सड़क नियमों का पालन करें। प्रशासन को भी चाहिए कि यात्रा मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएँ न हों।

इन हादसों ने न केवल कांवड़ियों के परिवारों को दुख पहुँचाया है, बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि आस्था के साथ-साथ सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

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