उत्तरकाशी में बादल फटने से भारी तबाही

उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त 2025 को हुई प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई। खीरगंगा नदी में अचानक आए सैलाब ने पूरे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया। इस आपदा में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50-75 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है।

यह घटना बादल फटने या ग्लेशियर झील के फटने (GLOF) जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण हुई हो सकती है, हालांकि मौसम विभाग ने बादल फटने के स्पष्ट डेटा की कमी बताई है। इस आपदा ने न केवल धराली गांव, बल्कि आसपास के हर्षिल और सुक्खी टॉप जैसे क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है।

आपदा का विवरण और प्रभाव

धराली गांव, जो गंगोत्री धाम से करीब 10 किलोमीटर और हर्षिल में भारतीय सेना के कैंप से 4 किलोमीटर दूर है, में दोपहर करीब 1:45 बजे सैलाब आया। खीरगंगा नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से बाजार, घर, होटल और होम-स्टे ताश के पत्तों की तरह ढह गए।

स्थानीय लोगों के अनुसार, सैलाब की गति इतनी तेज थी कि लोगों को भागने का मौका तक नहीं मिला। लगभग 20-25 होटल, दुकानें और घर पूरी तरह नष्ट हो गए। हर्षिल में सेना का हेलीपैड भी बह गया, जिससे राहत कार्यों में बाधा आई। गंगोत्री नेशनल हाईवे कई जगहों पर टूट गया, और भटवाड़ी व गंगनानी जैसे क्षेत्रों में सड़कें दलदल में बदल गईं।

राहत और बचाव कार्य

आपदा के तुरंत बाद, भारतीय सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन की करीब 150 टीमें राहत कार्यों में जुट गईं। अब तक 657 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जिनमें से 65 से अधिक को हेलीकॉप्टर के जरिए मातली, उत्तरकाशी लाया गया।

सेना की 14वीं राजपूताना राइफल्स की यूनिट, कर्नल हर्षवर्धन के नेतृत्व में 150 जवानों के साथ, और एनडीआरएफ की चार टीमें युद्धस्तर पर काम कर रही हैं। रीको रडार और खोजी कुत्तों का उपयोग मलबे में दबे लोगों को ढूंढने के लिए किया जा रहा है। खराब मौसम के बावजूद, मौसम साफ होने पर सात हेलीकॉप्टर (MI-17 और चिनूक सहित) राहत कार्यों में लगाए गए हैं।

हालांकि, भारी बारिश और भूस्खलन ने बचाव कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। गंगोत्री-हर्षिल मार्ग पर 150 मीटर सड़क ध्वस्त हो चुकी है, और कई जगहों पर लैंडस्लाइड के कारण रेस्क्यू टीमें धराली तक पहुंचने में कठिनाई का सामना कर रही हैं। उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर (01374-222126, 222722, 9456556431) जारी किए हैं, और लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के आपदा कंट्रोल रूम से स्थिति की समीक्षा की और 6 अगस्त को धराली का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने प्रभावितों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और 20 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम धामी से बात कर स्थिति का जायजा लिया और केंद्र सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, और अन्य नेताओं ने भी इस त्रासदी पर शोक व्यक्त किया और प्रभावितों की मदद की अपील की।

विशेषज्ञों की राय और संभावित कारण

मौसम विभाग के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने कहा कि बादल फटने का कोई स्पष्ट डेटा नहीं मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आपदा ग्लेशियर टूटने या हिमनद झील के फटने (GLOF) के कारण हो सकती है,

जैसा कि 2013 की केदारनाथ त्रासदी या 2021 की चमोली आपदा में देखा गया था। उपग्रह तस्वीरों में खीरगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में ग्लेशियर और दो झीलों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जो इस थ्योरी को बल देती है। स्थानीय लोगों ने भी बताया कि इतनी तेज जल प्रलय उन्होंने पहले कभी नहीं देखी।

चुनौतियां और भविष्य की चेतावनी

राहत कार्यों में सबसे बड़ी बाधा खराब मौसम और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचा है। बारिश और भूस्खलन के कारण सड़कें और पुल बह गए हैं, जिससे मशीनरी और राहत सामग्री पहुंचाने में मुश्किल हो रही है। मौसम विभाग ने 10 अगस्त तक उत्तराखंड में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे बचाव कार्य और जटिल हो सकते हैं। प्रशासन ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने और गैर-जरूरी यात्रा टालने की सलाह दी है।

निष्कर्ष

धराली में हुई इस त्रासदी ने न केवल जान-माल का भारी नुकसान किया, बल्कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर भी सवाल उठाए हैं। सेना, एनडीआरएफ, और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद, लापता लोगों की तलाश और प्रभावितों को सहायता पहुंचाना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।

सरकार और प्रशासन की तत्परता के साथ-साथ, भविष्य में ऐसी आपदाओं को कम करने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की जरूरत है।

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