बस्ती, उत्तर प्रदेश (22 जुलाई 2025): उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। सोमवार शाम से लापता दो सगे भाइयों समेत तीन बच्चों के शव मंगलवार सुबह लौहरौली गांव के पास एक गहरे गड्ढे में मिले। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी है, बल्कि कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और प्रारंभिक तौर पर आशंका जताई जा रही है कि बच्चों की मौत गहरे पानी में डूबने के कारण हुई हो सकती है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, मृतक बच्चों की पहचान आयुष (8 वर्ष), आदित्य (10 वर्ष) और उनके पड़ोसी विराट के रूप में हुई है। आयुष और आदित्य सगे भाई थे। तीनों बच्चे सोमवार शाम को खेलने के लिए घर से निकले थे, लेकिन देर रात तक वापस नहीं लौटे। परिजनों ने उनकी तलाश शुरू की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। मंगलवार सुबह गांव के पास एक तालाब के किनारे बने गहरे गड्ढे में उनके शव देखे गए। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद बस्ती पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे।
पुलिस की कार्रवाई
बस्ती के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिनंदन ने घटनास्थल का दौरा किया और राहत व बचाव कार्य शुरू करवाए। पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है ताकि मौत के सटीक कारण का पता लगाया जा सके। प्रारंभिक जांच में बच्चों के शरीर पर चोट के निशान देखे गए हैं, जिसने इस मामले को और भी संदिग्ध बना दिया है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह एक दुर्घटना थी या इसके पीछे कोई साजिश। एसपी ने बताया कि पुलिस सभी पहलुओं पर गौर कर रही है और जल्द ही सच्चाई सामने लाई जाएगी।
इलाके में दहशत और शोक
इस घटना से लौहरौली गांव और आसपास के इलाकों में शोक की लहर दौड़ गई है। बच्चों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। स्थानीय निवासियों में डर का माहौल है, और कई लोग अपने बच्चों को घर से बाहर निकलने से रोक रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह गड्ढा खेत में चल रही खुदाई के कारण बना था, जिसमें बारिश का पानी भर गया। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐसी जगहों पर सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
प्रशासनिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई शुरू की है। पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू कर दी है और सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है। सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने इस घटना की निंदा की है और प्रशासन से त्वरित जांच की मांग की है। कुछ लोगों ने इसे लापरवाही का नतीजा बताया, क्योंकि खुले गड्ढों को ढकने या चेतावनी बोर्ड लगाने जैसे कदम नहीं उठाए गए।
आगे की राह
यह घटना एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के मौसम में खुले गड्ढों और तालाबों के पास बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाने चाहिए। फिलहाल, पुलिस की जांच पर सभी की नजरें टिकी हैं। परिजनों और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस मामले में जल्द ही इंसाफ मिलेगा और भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सकेगा।)