पटना में 23 जुलाई 2025 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी आदित्य सौरभ को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
उनके साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के तीन अन्य कर्मचारी भी हिरासत में लिए गए हैं। यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की सख्ती को दर्शाती है और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की जरूरत को उजागर करती है। इस लेख में हम इस मामले के विवरण, जांच प्रक्रिया, और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
घटना का विवरण
सीबीआई को एक शिकायत मिली थी कि आईआरएस अधिकारी आदित्य सौरभ, जो पटना में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में तैनात थे, एक व्यवसायी से 2 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।
यह राशि कथित तौर पर एक टैक्स संबंधी मामले को निपटाने के लिए मांगी गई थी। शिकायतकर्ता ने सीबीआई को इसकी सूचना दी, जिसके बाद एजेंसी ने एक स्टिंग ऑपरेशन की योजना बनाई।
23 जुलाई 2025 को, सीबीआई की एक विशेष टीम ने पटना में जाल बिछाया और आदित्य सौरभ को रिश्वत की राशि लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। इस ऑपरेशन में उनके साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के तीन अन्य कर्मचारी भी शामिल थे,
जिन्हें सह-आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया गया। सूत्रों के अनुसार, यह रिश्वत एक व्यवसायी के टैक्स असेसमेंट को अनुकूल करने के बदले में मांगी गई थी।
सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को हिरासत में लिया और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई ने आरोपियों के कार्यालय और आवास पर तलाशी अभियान चलाया, जहां से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद किए गए हैं।
इन दस्तावेजों की जांच से यह पता लगाया जा रहा है कि क्या यह रिश्वतखोरी का कोई बड़ा रैकेट था या यह एक अलग-थलग घटना थी।
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं की गहराई से पड़ताल की जा रही है। यह भी जांच की जा रही है कि क्या आदित्य सौरभ और उनके सहयोगियों ने पहले भी इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लिया था।
प्रशासन और जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना ने बिहार में सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। स्थानीय लोगों और व्यवसायियों ने सीबीआई की इस कार्रवाई की सराहना की है, लेकिन साथ ही यह मांग भी उठ रही है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस मामले पर आंतरिक जांच शुरू करने की बात कही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है और सीबीआई की कार्रवाई का समर्थन करती है। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी ताकि भविष्य में कोई ऐसा करने की हिम्मत न करे।
बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम
बिहार में हाल के वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाइयां हुई हैं। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के खिलाफ जांच तेज की है। उदाहरण के लिए, 2024 में बिहार में कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे,
जिनमें सड़क निर्माण, शिक्षा, और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े घोटाले शामिल थे। इस नवीनतम घटना ने एक बार फिर सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित किया है।
भ्रष्टाचार के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
रिश्वतखोरी जैसे मामले न केवल सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता को कम करते हैं, बल्कि आम लोगों और व्यवसायियों का विश्वास भी तोड़ते हैं। विशेष रूप से छोटे और मध्यम व्यवसायी, जो टैक्स और वित्तीय प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की उम्मीद करते हैं, ऐसी घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह घटना बिहार जैसे राज्य में, जहां आर्थिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रयासरत है, एक झटके के रूप में देखी जा रही है।
निष्कर्ष
पटना में सीबीआई द्वारा आईआरएस अधिकारी आदित्य सौरभ और तीन अन्य कर्मचारियों की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्रवाई न केवल दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में एक कदम है,
बल्कि यह भी संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी रियायत नहीं बरती जाएगी। सीबीआई की जांच से इस मामले के और पहलू सामने आएंगे, जो यह निर्धारित करेगा कि यह एक अलग-थलग घटना थी या किसी बड़े रैकेट का हिस्सा। जनता से अपील है कि वे ऐसी गतिविधियों की सूचना तुरंत जांच एजेंसियों को दें ताकि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सके।