उत्तर प्रदेश, जो देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है, इन दिनों गंभीर बिजली संकट से जूझ रहा है। कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, बलिया, और आसपास के कई ग्रामीण इलाके 6 से 8 घंटे की नियमित बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं।
यह स्थिति ना केवल लोगों की दिनचर्या को प्रभावित कर रही है, बल्कि उद्योगों, व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बुरा असर डाल रही है।
गर्मी और उमस में बेहाल जनता
उत्तर प्रदेश में जुलाई के महीने में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार चल रहा है। ऊपर से बिजली न होने के कारण पंखे, कूलर और एसी काम नहीं कर पा रहे हैं। लोग दिन में भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं।
खासकर बुजुर्ग, बच्चे और बीमार लोग इस गर्मी से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी खराब है, जहां बिजली 4–5 घंटे ही आ रही है।
कारण क्या है इस संकट का?
सरकार का कहना है कि इस बिजली संकट की मुख्य वजह कोयले की आपूर्ति में कमी है। कई बिजली संयंत्रों में कोयला पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रहा है, जिससे उत्पादन घट गया है।
इसके अलावा बढ़ती मांग के मुकाबले पर्याप्त पावर सप्लाई नहीं हो पा रही है। मानसून में भी कई जगह उत्पादन धीमा हो जाता है, जिससे ये संकट और गहरा गया है।
शहरों और गांवों पर अलग असर
शहरों में बिजली कटौती के कारण इंटरनेट, वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन क्लासेस जैसी चीजें प्रभावित हो रही हैं। व्यापारियों को जनरेटर चलाने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है।
वहीं, गांवों में किसानों की सिचाई व्यवस्था, दूध की चिलिंग, और ट्यूबवेल संचालन ठप हो गया है। इससे फसल पर भी असर पड़ सकता है।
सरकार की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि जल्द ही इस संकट से राहत मिलेगी। सरकार कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र से बात कर रही है और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा और हाइड्रो पॉवर पर भी काम कर रही है।
साथ ही बिजली विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि अनावश्यक कटौती ना की जाए और बिजली चोरी रोकने के लिए सख्ती बरती जाए।
जनता की मांग और उम्मीदें
जनता की सबसे बड़ी मांग है कि बिजली वितरण प्रणाली को दुरुस्त किया जाए और बिजली का समान वितरण सुनिश्चित किया जाए। लोग चाहते हैं कि उन्हें कम से कम इतनी बिजली मिले कि वे गर्मी में राहत पा सकें, और उनका दैनिक जीवन प्रभावित न हो।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में बिजली संकट ने आम आदमी की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह स्थिति और भी विकराल रूप ले सकती है।
सरकार को चाहिए कि आपातकालीन कदम उठाकर बिजली आपूर्ति को स्थिर करे और दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस कार्य करे, ताकि भविष्य में फिर ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।