पटना, 21 जुलाई 2025
बिहार में इस समय बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश और नदियों में जलस्तर बढ़ने से कई जिलों में स्थिति चिंताजनक हो गई है।
गंगा और सोन नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे आरा, पटना, भोजपुर और रोहतास जैसे क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर हैं, लेकिन बाढ़ से निपटने के लिए अभी भी कई चुनौतियां बरकरार हैं।
बाढ़ की स्थिति और प्रभाव
गंगा नदी का जलस्तर गांधी घाट और मनेर में स्थिर हो गया है, लेकिन यह खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है।
एडीएम आपदा देवेंद्र शाही ने बताया कि जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 24 घंटे संचालित आपदा केंद्र (नंबर: 0612-2210118) के जरिए लोगों को सहायता दी जा रही है। दूसरी ओर, सोन नदी के उफान से तिलौथू और नौहट्टा जैसे क्षेत्रों में पानी घरों में घुस गया है, जिसके कारण सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं। एसडीआरएफ की टीमें प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।
राहत और बचाव कार्य
राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां पीड़ितों को भोजन, दवाइयां और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ से मरने वालों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। हाल ही में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 6 लोगों की मौत के बाद भी यह राशि दी जाएगी। इसके अलावा, सेना और एनडीआरएफ की टीमें भी बचाव कार्य में जुटी हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
बाढ़ को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है।
विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने राहत कार्यों को प्रभावी बताते हुए बचाव के लिए कदम उठाने का दावा किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर बिहार सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, वहीं जदयू ने इसे प्राकृतिक आपदा करार देते हुए केंद्र से और सहायता मांगी है।
भविष्य की चुनौतियां
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जल निकासी व्यवस्था में सुधार और बांधों की मरम्मत की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके। स्थानीय लोग डर और आशंका के बीच राहत कार्यों का इंतजार कर रहे हैं।
बिहार की यह बाढ़ आपदा एक बार फिर राज्य की कमजोर बुनियादी ढांचे और जल प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल उठाती है। सरकार और प्रशासन के समन्वित प्रयास ही इस संकट से निपटने में सफलता दिला सकते हैं।